एक आदर्श जीवन जीने के लिए किसी भी व्यक्ति के लिए यह बहुत ही आवश्यक है कि वह अपने शरीर को स्फूर्तिवान बनाएं और ऐसा योग के माध्यम से आसानी से किया जा सकता है। वैसे तो विज्ञान में काफी ज्यादा तरक्की कर ली है मगर योग शरीर को स्वस्थ रखने का सबसे बेहतर तरीका माना गया है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जब मनुष्य चारों तरफ से सकारात्मक ऊर्जा से घिरा रहता है और वह अपने अनुकूल दिशाओं का पालन करता है, उस दौरान निरंतर खुश रहने के लिए उसके साथ चक्र योग दिशा और पूर्ण रूप से प्रभावित होते हैं। कभी-कभी ऊर्जा चैनल अवरुद्ध हो जाते हैं।

आखिर कौन कौन से हैं वे सात चक्र, किस तरह से हमारे शरीर को प्रभावित करते हैं। सात चक्र शरीर को कैसे प्रभावित करते हैं। हमारे व्यक्तित्व और अंगों पर क्या असंतुलन होता है‌ और योग आसन या मुद्रा के साथ चक्रों को संतुलित करके इसे कैसे ठीक किया जा सकता है। तथा इससे हमें क्या लाभ मिलता है, आज के इस पोस्ट में हम सब कुछ विस्तार से बताने वाले हैं।

7 चक्र क्या है ? – The 7 Chakras, explained

चक्र शब्द का संस्कृत में शाब्दिक अर्थ है “पहिया” यह पुराने भावात्मक और शारीरिक चोटों को ठीक करने में मदद करते हैं। सबसे पहले तो यह जानना जरूरी है, कि हमारे शरीर में कुल कितने चक्र होते हैं। दोस्तों हमारे शरीर में कोई 114 चक्र होते हैं, मुख्य रूप से सात चक्रों को ही प्रमुखता दी गई है। जो अलग-अलग हैं। किसी भी चक्र को जागृत करने से पहले जरूरी है कि आप ध्यान लगाएं। ध्यान लगाने के लिए शोर शराबा बिल्कुल नहीं होना चाहिए, बल्कि एक शांत वातावरण होना चाहिए। शांत स्थान पर ध्यान की मुद्रा में बैठकर अपनी सांस पर ध्यान देना होता है। ऐसा करने से चक्र को जागृत करने में सहायता मिलती है। अगर आपने इन 7 चक्रों(7 Chakras) को जागृत करने में सफलता हासिल कर ली है, तो इन्हें नियंत्रण में रखना भी बहुत ही आवश्यक होता है। यह चक्र आत्मा शरीर और स्वास्थ्य के बीच संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह सुनिश्चित करते हैं कि शरीर में उर्जा का एक जुड़ाव हो और समान रूप से प्रवाह हो। यह चक्र आप की रीढ़ की हड्डी के बिल्कुल सिरे से शुरू होकर आप के सिर के ऊपर तक जाते‌ हैं।

What are 7 Chakras
The Root Chakra

1.मूलाधार चक्र (The Root Chakra)

तत्व: पृथ्वी

रंग: लाल

मंत्र: लम

स्थान : गुदा और जननांगों के बीच रीढ़ की हड्डी का आधार पर स्थित।

यह शरीर का पहला चक्र है। गुदा और लिंग के बीच चार पंखुड़ियों वाला यह आधार चक्र है। 99.9% लोगों की चेतना इसी चक्र पर अटकी रहती है। जिनके जीवन में भोग संभोग और निद्रा की प्रधानता है, उनकी ऊर्जा इसे चक्र के आसपास एकत्रित करती है।जड़ चक्र या मूलाधार चक्र सक्रिय या निष्क्रिय हो सकते हैं। प्रतिदिन इन चक्रों की शक्तियों को सक्रिय के लिए उपचार जरूरी है।

मूलाधार चक्र के संतुलन से : हड्डियों, दातों, नाखूनों, गुदा, प्रोस्टेट, अधिवृक्क, गुर्दे, निचले पाचन कार्यों, उत्सर्जन कार्यों और यौन गतिविधियों के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।

चक्र में असंतुलन से- जब यह चक्र और उद्योग हो जाता है तब, थकान,खराब नींद, पेट के नीचे हिस्से में दर्द, साइटिका, कब, अवसाद, प्रतिरक्षा संबंधी विकार, आदि विकार होते हैं।

चक्र को कैसे जागृत करें : भोग, निद्रा और संभोग पर संयम रखते हुए इस चक्र पर ध्यान लगाने से यह चक्र जाग्रत होता है।

प्रभाव : इस चक्र के जाग्रत होने पर व्यक्ति के अंदर वीरता निर्भीकता और आनंद का भाव जागृत होता है।

What are 7 Chakras
The Sacral Chakra

2. स्वाधिष्ठान चक्र (The Sacral Chakra)

तत्व: जल

रंग: नारंगी

मंत्र: राम

स्थान: लिंग मूल से चार अंगुल ऊपर स्थित

अगर आपकी ऊर्जा इस चक्र पर एकत्रित है तो, आपके जीवन में आमोद-प्रमोद, मनोरंजन, घूमना-फिरना और मौज-मस्ती करने की प्रधानता रहेगी।यह चक्र व्यक्त की भावात्मक पहचान, रचनात्मकता, इच्छा, आनंद और आत्मा-संतुष्टि, और व्यक्तिगत संबंधों से संबंधित है।

संतुलित चक्र से : यौन अंगों, पेट, ऊपरी आंतों, यकृत, पित्ताशय की थैली, गुर्दे,अग्न्याशय, अधिवृक्क ग्रंथियों, प्लीहा, मध्य रीढ़ और ऑटोइम्यून प्रणाली को नियंत्रित करता है।

असंतुलित चक्र से : जब यह चक्र असंतुलित होता है या ब्लॉक होता है तो पीठ के निचले हिस्से में दर्द, मूत्र संबंधी समस्याएं, संक्रमण और वायरस के प्रति कम प्रतिरोध, थकान, हार्मोनल असंतुलन, मासिक धर्म संबंधी समस्याएं होती हैं।

चक्र को कैसे जागृत करें : जीवन में मनोरंजन होना बहुत जरूरी है। मनोरंजन व्यक्ति की चेतना को उजागर करता है। उदाहरण के तौर पर फिल्म सच्ची नहीं होती लेकिन उससे जुड़ कर आप जो अनुभव करते हैं वह आपके जीवन जीने का प्रमाण है।

प्रभाव : इसके जागृत होने पर क्रूरता, अविश्वास आदि दुर्गुणों का नाश होता है। सिद्धियां आपका द्वार खटखटाएगी।

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What are 7 Chakras
The Solar Plexus Chakra

3. मणिपुर चक्र (The Solar Plexus Chakra)

तत्व: आग

रंग: पीला

मंत्र : राम

स्थान: नाभि के मूल में स्थित

यह शरीर के अंतर्गत मणिपुर नामक तीसरा चक्र है, जो 10 कमल पंखुड़ियों से युक्त है। जिस व्यक्ति की चेतना या ऊर्जा जहां एकत्रित रहती है, उसे काम करने की धुन सी रहती है। ऐसे लोग दुनिया का हर कार्य करने के लिए तैयार रहते हैं।

संतुलित चक्र से  : पित्ताशय की थैली, यकृत, गुर्दे, अधिवृक्क, पेट के प्रभावी कामकाज को नियंत्रण रखता है।

असंतुलित चक्र से : मधुमेह, गठिया, पेट के रोग, पेट के अल्सर, आंतों के ट्यूमर निम्न रक्तचाप हो सकता है।

चक्र को कैसे जागृत करें : अपने कार्य को सकारात्मक आयाम देने के लिए इस चक्र पर ध्यान लगाएं। पेट से सांस में।

प्रभाव : इस चक्र के सक्रिय होने पर ईर्ष्या, घृणा,भय, आदि और दूर हो जाते हैं।

What are 7 Chakras
The Heart Chakra

4. अनाहत चक्र (The Heart Chakra)

तत्व :वायु

रंग : हरा या गुलाबी

मंत्र : यम

स्थान: हृदयस्थल में स्थित

अगर आपकी ऊर्जा इस चक्र में सक्रिय है, तो आप एक सृजनशील व्यक्ति होंगे। हर वक्त आप कुछ ना कुछ नया रचने की सोचते होंगे। आप चित्रकार,कवि, कहानीकार, इंजीनियर आदि हो सकते हैं।

संतुलित चक्र से : अनाहत चक्र किसी व्यक्ति की सामाजिक पहचान को प्रभावित करता है। यह ह्रदय पसली पिंजरे, रक्त संचार प्रणाली, फेफड़े और डायाफ्राम, स्तन, हाथ के कामकाज से संबंधित है।

असंतुलित चक्र से : कंधे की समस्या, अस्थमा, हिंदी की स्थिति, फेफड़ों के रोगों से संबंधित बीमारियों का कारण बन सकता है।

चक्र को कैसे जागृत करें : हृदयम करने और ध्यान लगाने से यह चक्र जागृत होने लगता है। खासकर रात को सोने से पहले इस चक्र पर ध्यान लगाने से जागृत होता है।

प्रभाव : इसके सक्रिय होने पर हिंसा, कुतर्क, चिंता, मोह, विवेक और अहंकार समाप्त हो जाते हैं। इसके अलावा व्यक्ति आत्मविश्वासी, सुरक्षित, चारित्रिक रूप से जिम्मेदार एवं भावनात्मक रूप से संतुलित बन जाता है।

What are 7 Chakras
The Throat chakra

5. विशुद्ध चक्र (The Throat chakra)

तत्व: ध्वनि

रंग: नीला

मंत्र: हमी

स्थान : कंठ के ठीक पीछे

सामान्य तौर पर यदि आपकी उर्जा इस चक्र के आस पास एकत्रित है,तो आप अति शक्तिशाली होंगे।

संतुलित चक्र से : इस चक्र के सक्रिय होने का संबंध संचार, आत्म अभिव्यक्ति आदि से हैं। इसकी सक्रियता से वाणी शुद्ध होती है और संगीत विद्या भी सिद्ध होती है।

असंतुलित चक्र से  : इस चक्र के ब्लॉक होने पर थायराइड जैसी समस्याएं, गले और आवाज से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं।

चक्र को कैसे जागृत करें : कंठ में संयम करने और ध्यान लगाने से यह चक्र जागृत होता है।

प्रभाव : इस चक्र के जाग्रत होने पर 16 कलाओं और 16 विभूतियों का ज्ञान प्राप्त होता है। इसके अलावा जहां भूख और प्याज को रोका जा सकता है वहीं मौसम के प्रभाव को भी रोका जा सकता है।

What are 7 Chakras
The Third Eye Chakra

6. आज्ञा चक्र (The Third Eye Chakra)

तत्व : प्रकाश

रंग : इंडिगो

मंत्र : या

स्थान : दोनों भौंहों के बीच (तीसरी आंख)

सामान्य तौर पर जिस व्यक्ति की उर्जा यहां ज्यादा सक्रिय होती है ऐसे व्यक्ति बौद्धिक रूप से संपन्न, संवेदनशील और तेज दिमाग क्यों होते हैं, लेकिन वह सब कुछ जानने के बावजूद चुप रहते हैं।

संतुलित चक्र से : यह चक्र मस्तिष्क, आंख,कान, पिट्यूटरी ग्रंथि,पीनियल ग्रंथि और तंत्रिका तंत्र के कार्यों को नियंत्रित करता है। रचनात्मक और अभिव्यक्ति में वृद्धि, प्रभावी संचार कौशल, संतोष और अच्छा सुनने की क्षमता व्यक्ति के अंदर होती है।

असंतुलित चक्र से :किसी भी असंतुलन से सिर दर्द, बुरे सपने, आंखों में खिंचाव, सीखने की अक्षमता, घबराहट, संवाद, अंधापन, बहरापन, दौरे या रीढ़ की हड्डी में खराबी हो सकती है।

चक्र को कैसे जागृत करें : भौंहों के मध्य ध्यान लगाते हुए साक्षी भाव में रहने से यह चक्र जागृत होने लगता है।

प्रभाव : इस चक्र में अपार शक्तियां और सिद्धियां निवास करती है। आज्ञा चक्र का जागरण होने से सभी शक्तियां जागृत हो जाती हैं और व्यक्ति सिद्ध पुरुष बन जाता है।

What are 7 Chakras
The Crown Chakra

7.सहस्त्रार चक्र (The Crown Chakra)

तत्व : विवेक

रंग : बैंगनी या सफेद

मंत्र : मौन

स्थान : सहस्त्रार चक्र मस्तिष्क के मध्य भाग में स्थित (चोटी वाला स्थान)

यदि व्यक्ति यम,नियम का पालन करते हुए यहां तक घर पहुंच गया है तो उसके शरीर में किसी भी प्रकार का विकार नहीं होगा। ऐसे व्यक्ति को संसार, सन्यास, और सिद्धियों से कोई मतलब नहीं होता है। संतुलन और असंतुलन जीवन का एक बड़ा हिस्सा है

संतुलित चक्र से : यह सिर के केंद्र और कान, मस्तिष्क, तंत्रिका तंत्र और पीनियल ग्रंथ के ऊपर मध्य रेखा कौन नियंत्रित करता है।

असंतुलित चक्र से : इस चक्र के ब्लॉक होने पर पुरानी थकावट, प्रकाश, ध्वनि के प्रति संवेदनशीलता होती है। उद्देश्य की कमी, किसी भी आध्यात्मिक अभ्यास में अविश्वास, भक्ति प्रेरणा की कमी, भय की भावना, भौतिकवाद प्रकृति पैदा होती है।

चक्र को कैसे जागृत करें : मूलाधार से होते हुए ही सहस्त्रार तक पहुंचा जा सकता है। लगातार ध्यान करते रहने से यह चक्र सक्रिय हो जाता है और व्यक्ति परमहंस के पद को प्राप्त कर लेता है।

प्रभाव : स्किन जागरण से, शरीर संरचना में इस स्थान पर अनेक महत्वपूर्ण विद्युतीय और जयवीर विद्युत का संग्रह हो जाता है।

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हालांकि योग आसनों का नियमन अभ्यास आपको अपने चक्रों को संतुलित करने में मदद करता है। जिससे आप स्वास्थ्य, संतुष्ट और खुशहाल जीवन जी सकेंगे। दोस्तों उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह आर्टिकल पसंद आया होगा। पसंद आने पर लाइक और शेयर करना ना भूलें।

By Topper

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