Essay on Global Warming in Hindi

ग्रीन हाउस गैस की वजह से पृथ्वी के average surface तापमान में होने वाले बढ़ोतरी को ग्लोबल वार्मिंग कहते हैं.

जब fossil fuel के जलने से कार्बन डाइऑक्साइड निकलता है या फिर पेड़ों की कटाई की जाती है तो ग्रीन हाउस प्रभाव पृथ्वी की गर्मी को इससे बाहर जाने नहीं देती और यही पर रह जाती है. जिससे इसका तापमान बढ़ता जाता है.

ग्लोबल वार्मिंग की समस्या मुख्य रूप से atmosphere में बहुत अधिक कार्बन डाइऑक्साइड की वजह से होती है, जो हमारे गृह से heat को बाहर नहीं जाने देती है ये एक चादर की तरह होती है जिससे के अंदर सारी गर्मी फंस कर रह जाती है और पृथ्वी से बाहर नहीं पाती. 

पृथ्वी की climate change नार्मल तरीके से कम  0.3 से 1.7 डिग्री तक और maximum 2.6 से 48 डिग्री तक  बढ़ने की संभावना है. ये reading national science academies of the major industrialized nations के द्वारा रिकॉर्ड की गई है.

आने वाले समय में climate change जगह के अनुसार अलग अलग होगा. इसके बदलाव से समुद्र स्तर बढ़ जायेगा और रेगिस्तान फ़ैल जायेंगे.

Table of Contents

ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव (Effects of Global Warming) 

ग्रीनहाउस प्रभाव से उत्पन्न ग्लोबल वार्मिंग की वजह से हमारे गृह में काफी बुरे परिणाम देखने को मिलने शुरू हो चुके हैं.पिछले कुछ दशक से हमारे पृथ्वी का तापमान 1डिग्री सेल्सियस बढ़ चूका है जब से इंडस्ट्रीज का विस्तार हुआ है.

भले ये देखने में बहुत काम और मामूली आंकड़ा लगता  है लेकिन तापमान का छोटा बदलाव भी जलवायु में काफी बड़े बदलाव का कारण बन जाता है.

तो चलिए अब देख लेते हैं की आखिर ग्लोबल वार्मिंग से पृथ्वी पर कैसे कैसे प्रभाव पद सकते हैं या पड़ने शुरू हो चुके हैं जिन्हे हम अभी से महसूस कर सकते हैं.

  • ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव से कई जीवों और पशुओं की प्रजाति विलुप्त हो गई है इसके अलावा इसके प्रभाव से जीवों की कुछ ऐसी प्रजातियां है जो ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव से विलुप्त होने वाली हैं।
  • ग्लोबल वार्मिंग के कारण जल स्तर में आवश्यकता से अधिक वृद्धि होने के कारण बाढ़ व सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाएं होने की संभावनाएं होती है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण तापमान अधिक हो जाता है जिसके कारण बड़े-बड़े ग्लेशियर पिघलने लगते है और इन्हीं कारणों से जल स्तर बढ़ जाता है।
  • ग्लोबल वार्मिंग का हर उम्र के व्यक्तियों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है जिससे वे किसी न किसी रोग से ग्रस्त होते जा रहे है और शुद्ध वायु के अभाव में व्यक्ति खुले आसमान के नीचे भी घुटन का जीवन व्यतीत कर रहा है।
  • ग्लोबल वार्मिंग पृथ्वी की सतह में तापमान में वृद्धि का परिणाम है अतः अत्यधिक तापमान होने के कारण गर्मी अधिक लगती है जिससे त्वचा व अन्य शारीरिक एवं मानसिक रोग उत्पन्न होते है। तापमान में वृद्धि के कारण रेगिस्तान का विस्तार होता है जिससे वहां रहने वाले प्राणियों की मृत्यु भी हो जाती है।

ग्लोबल वार्मिंग का क्या कारण है? (Causes of Global Warming in hindi)

ग्रीन हाउस प्रभाव:-

ग्रीन हाउस प्रभाव (Green House Effect) को हरित प्रभाव भी कहा जाता है जो एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। ग्रीन हाउस प्रभाव पृथ्वी की सतह को गर्मी प्रदान करता है जो पृथ्वी में रहने वाले प्राणियों के लिए जीवन को संभव बनाता है। ग्रीन हाउस में शामिल गैसें जैसे – कार्बन डाई ऑक्साइड, मिथेन एवं जल वाष्प की मात्रा जब आवश्यकता से अधिक बढ़ने लगती है तो यह पृथ्वी में तापमान को आवश्यकता से अधिक बड़ा देता है जिससे मौसम और पृथ्वी में रहने वाले सभी प्राणियों को हानि होती है अतः ग्रीन हाउस प्रभाव ग्लोबल वार्मिंग का प्रमुख कारण है।

वनों का अंधाधुंध कटाई:-

वर्तमान में वनों की अंधाधुन कटाई ग्लोबल वार्मिंग का प्रमुख कारण बनी हुई है क्योंकि वनों के कटाव से वातावरण में ऑक्सीजन की कमी होती है और हानिकारक गैसों जैसे – कार्बन डाईऑक्साइड, मिथेन आदि की मात्रा बढ़ जाती है, इन गैसों के प्रभाव के कारण भूमंडलीय तापमान में वृद्धि होती है। इसके अलावा वनों की कटाई से मौसम में परिवर्तन आते है जिससे समय पर वर्षा न होने के कारण भी तापमान में वृद्धि से ग्लोबल वार्मिंग की समस्या उत्पन्न होती है।

आवश्यकता से अधिक आधुनिकीकरण:-

आधुनिकीकरण से तात्पर्य परंपरागत समाजों में होने वाले परिवर्तनों से है जिसमें मशीनीकरण, तकनीकीकरण, बड़े-बड़े कारखानों का निर्माण आदि को सम्मिलित किया जाता है। आधुनिकीकरण के कारण विभिन्न प्रकार के उपकरणों का निर्माण किया जा रहा है जिनसे उत्सर्जित कई घातक गैसें वायुमंडल को प्रदूषित करने के साथ-साथ उसे असंतुलित कर देती है। इसी प्रकार इन गैसों के प्रभाव से वायुमंडल के तापमान में भी वृद्धि होती है और इस तापमान में वृद्धि को ही ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है।

जनसंख्या विस्फोट:-

जनसंख्या विस्फोट जिसे जनसंख्या वृद्धि कहा जाता है ने वर्तमान में कई समस्याओं को जन्म दिया है। जनसंख्या वृद्धि ने विभिन्न मानवीय आवश्यकताओं को जन्म दिया है जिसके कारण मनुष्य ने प्रकृति का दोहन करना आरम्भ दिया। प्रकृति के विभिन्न संसाधनों के दोहन ने न केवल प्रकृति को बल्कि पृथ्वी में रहने वाले सभी जीवों के लिए विभिन्न समस्याएं उत्पन्न की है और इन समस्याओं में एक समस्या है ग्लोबल वार्मिंग जो इन सभी क्रियाओं का दुष्परिणाम है।

जीवाश्म ईंधन जलाना | Burning Fossil Fuel:-

जब हम जीवाश्म ईंधन जैसे कोयला, गैस को बिजली तैयार करने के  अपनी गाड़ियों को चलाने के लिए जलाते हैं तो हमलोग खुद ही ढेर सारा CO2 बनाते हैं और अपने पर्यावरण में फैला देते हैं.

दुनिया में ऑस्ट्रेलिया ऐसा देश है जो दूसरे सभी देशों की तुलना में सबसे ज्यादा CO2  का उत्पादन करते हैं. दूसरे देशों की तुलना प्रति व्यक्ति वहां दुगुना CO2 का उत्पादन होता है.

बिजली का उत्पादन कार्बन डाइऑक्साइड बनने का सबसे प्रमुख कारण होता है. सबसे अधिक बिजली का उत्पादन कोयले को जलाकर ही की जाती है जिससे बहुत अधिक कार्बन डाइऑक्साइड उत्पन्न होता है.

इसके बाद गैसों को जलाने से सबसे अधिक CO2 बनता है. कुछ renewable energy के श्रोत जैसे solar, hydro और wind कार्बन नहीं बनाते हैं.

यातायात प्रदुषण  | Vehicles Gas Emmission:-

ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में बहुत संख्या में वाहनों का निर्माण किया जाने लगा है. ये 2 wheelers और 4 wheelers गाड़ियां आज हमे सड़कों में दौड़ती हुई नज़र आती हैं.

सड़कों पर दिनभर इन गाड़ियों से धुंआ निकलता है जो  पर्यावरण में भारी मात्रा में प्रदुषण फैलाते हैं. यातायात के साधनो की संख्या दिनबदिन बढ़ती जा रही है लोगों के बीच होड़ लगी रहती है नयी नयी गाड़ियां खरीदने की.

इस तरह मानव जीवन में आज कहीं भी जाना हो गाड़ियों का ही इस्तेमाल करते हैं जो या तो पेट्रोल से चलते हैं या फिर डीज़ल से. इस तरह दिनभर फैलने वाले पर्यावरण के प्रदुषण का कारण हम खुद हैं जो इन गाड़ियों का इतना अधिकता से इस्तेमाल करने लगे हैं.

क्या जलवायु परिवर्तन ग्लोबल वार्मिंग से अलग है?

वैश्विक तापमान में वृद्धि से तूफान, बाढ़, जंगल की आग, सूखा और लू के खतरे की आशंका बढ़ जाती है। एक गर्म जलवायु में, वायुमंडल अधिक पानी एकत्र कर सकता है और बारिश कर सकता है, जिससे वर्षा के पैटर्न में बदलाव हो सकता है।

बढ़ी हुई वर्षा से कृषि को लाभ हो सकता है, लेकिन एक ही दिन में अधिक तीव्र तूफानों के रूप में वर्षा होने से, फसल, संपत्ति, बुनियादी ढांचे को नुकसान होता है और प्रभावित क्षेत्रों में जन-जीवन का भी नुकसान हो सकता है।

ग्लोबल वार्मिंग के कारण समुद्री सतह का तापमान भी बढ़ जाता है क्योंकि पृथ्वी के वातावरण की अधिकांश गर्मी समुद्र द्वारा अवशोषित हो जाती है। गर्म समुद्री सतह के तापमान के कारण तूफान का बनना आसान हो जाता है। मानव-जनित ग्लोबल वार्मिंग के कारण, यह आशंका जताई जाती है कि तूफान से वर्षा की दर बढ़ेगी, तूफान की तीव्रता बढ़ जाएगी और श्रेणी 4 या 5 के स्तर तक पहुंचने वाले तूफानों का अनुपात बढ़ जाएगा।

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ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध 200 शब्दों में | Essay on Global Warming in 200 words

न्यू जर्सी के साइंटिस्ट वैली ब्रोएक्केर ने सबसे पहले ग्लोबल वार्मिंग को परिभाषित किया था जिसका अर्थ था ग्रीनहाउस गैसों (कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन) के कारण पृथ्वी के औसत तापमान में बढ़ोतरी होना। ये गैसें वाहनों, कारखानों और अन्य कई स्रोतों से उत्सर्जित होतीं हैं। ये खतरनाक गैसें गर्मी को गायब करने की बजाए पृथ्वी के वातावरण में मिल जाती है जिससे तापमान में वृद्धि होती है।

ग्लोबल वार्मिंग के परिणामस्वरूप पृथ्वी पर जलवायु गर्म हो रही है और यह पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है। ग्लोबल वार्मिंग के परिणामों से जुड़े हुए कुछ बिन्दुओं पर विस्तृत वर्णन इस प्रकार है:-

वायु पर प्रभाव

पृथ्वी के सतही तापमान में वृद्धि के कारण वायु प्रदूषण में भी इज़ाफा हो रहा है। इसका कारण यह है कि तापमान में वृद्धि से पृथ्वी के वायुमंडल में ओजोन गैस का स्तर बढ़ जाता है जो की कार्बन गैसों और सूरज की रोशनी की गर्मी के साथ प्रतिक्रिया करने पर पैदा होती है। वायु प्रदूषण के स्तर में होती वृद्धि ने कई स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं को जन्म दिया है। खासकर श्वास की समस्याएं और फेफड़ों के संक्रमण के मामलों में काफी बढ़ोतरी हुई है। इससे अस्थमा के रोगी सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं।

जल पर प्रभाव

बढती ग्लोबल वार्मिंग के कारण ग्लेशियर गल रहे हैं जिसके परिणामस्वरूप महासागर का पानी दिन प्रतिदिन गर्म हो रहा है। इन दोनों के चलते समुद्र में पानी का स्तर बढ़ गया है। इससे आने वाले समय में तापमान में वृद्धि के साथ समुद्र के पानी के स्तर में और ज्यादा वृद्धि होने की उम्मीद है।

यह चिंता का एक कारण है क्योंकि इससे तटीय और निचले इलाकों में बाढ़ की स्थिति पैदा हो जाएगी जिससे मनुष्य जीवन के सामने बड़ा मसला खड़ा हो जाएगा। इसके अलावा महासागर का पानी भी अम्लीय हो गया है जिसके कारण जलीय जीवन खतरे में है।

भूमि पर प्रभाव

ग्लोबल वार्मिंग के कारण कई जगहों के मौसम में भयंकर बदलाव हो रहे हैं। कई जगहों में बार-बार भारी बारिश तथा बाढ़ के हालत बन रहे हैं जबकि कुछ क्षेत्रों को अत्यधिक सूखा का सामना करना पड़ रहा है। ग्लोबल वार्मिंग ने न केवल लोगों के जीवन को प्रभावित किया है बल्कि कई क्षेत्रों में भूमि की उपजाऊ शक्ति को भी कम कर दिया है। इसी वजह से कृषि भूमि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।

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ग्लोबल वार्मिंग का मानव जीवन पर प्रभाव

ग्लोबल वार्मिंग ने पृथ्वी के वायुमंडल पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है और आने वाले समय में वह इसे और भी प्रभावित कर सकती है। नीचे दिए गए निम्नलिखित बिन्दुओं में ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों की व्याख्या की गयी है:-

1. वर्षा के स्वरुप में बदलाव

पिछले कुछ दशकों से बरसात होने के तरीके में बहुत बदलाव आया है। कई क्षेत्रों में लगातार भारी वर्षा होने के कारण वहां बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो जाती है जबकि अन्य क्षेत्रों को सूखा का सामना करना पड़ता है। इस वजह से उन क्षेत्रों में लोगों के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।

2. गर्म लहरों का बढ़ता प्रभाव

पृथ्वी की सतह के तापमान में वृद्धि के कारण गर्म तरंगों की आवृत्ति और तीव्रता में वृद्धि हुई है। इसने सिरदर्द, लू लगने से बेहोश होना, चक्कर आना और यहां तक कि शरीर के प्रमुख अंगों को नुकसान पहुँचाने वाली जैसी विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दिया है।

3. महासागरों पर प्रभाव और समुद्र के स्तर में वृद्धि

ग्लोबल वार्मिंग के कारण ग्लेशियरों की बर्फ पिघल रही है तथा महासागरों के पानी भी गरम हो रहा है जिससे समुद्र के पानी का स्तर लगातार बढ़ रहा है। इससे अप्रत्यक्ष रूप से तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए खतरा पैदा हो गया है। दूसरी तरफ, इन गैसों के अवशोषण के कारण महासागर अम्लीय होते जा रहे हैं और यह जलीय जीवन को बड़ा परेशान कर रहा है।

4. बढ़ती स्वास्थ्य समस्याएं

ग्लोबल वार्मिंग के कारण स्वास्थ्य समस्याओं में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। हवा में प्रदूषण के बढ़ते स्तर से साँस लेने की समस्याएं और फेफड़े के संक्रमण जैसी बीमारियाँ पनप रही है। इससे अस्थमा के रोगियों के लिए समस्या पैदा हो गई है। तेज़ गर्म हवाएं और बाढ़ भी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में इज़ाफे का एक कारण है। बाढ़ के कारण अलग-अलग क्षेत्रों में जमा हुए पानी मच्छरों, मक्खियों और अन्य कीड़ों के लिए आदर्श प्रजनन स्थल है और इनके कारण होने वाले संक्रमणों से हम अच्छी तरह परिचित है।

5. फसल का नुकसान

वर्षा होने के पैटर्न में गड़बड़ होने से न केवल लोगों के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है बल्कि उन क्षेत्रों में उगाई गई फसलों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। सूखा और भारी बारिश दोनों ही फसलों को नुकसान पहुँचा रहे हैं। ऐसी जलवायु परिस्थितियों के कारण कृषि भूमि बुरी तरह प्रभावित हुई है।

6. जानवरों के विलुप्त होने का खतरा

ग्लोबल वार्मिंग के कारण न केवल मनुष्यों के जीवन में कई स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो गई हैं बल्कि इसने विभिन्न जानवरों के लिए भी जीवन कठिन बना दिया है। मौसम की स्थितियों में होते परिवर्तन ने पशुओं की कई प्रजातियों का धरती पर अस्तित्व मुश्किल बना दिया है। कई पशुओं की प्रजातियाँ या तो विलुप्त हो चुकी है या फिर विलुप्त होने की क़गार पर खड़ी हैं।

7. मौसम में होते बदलाव

ग्लोबल वार्मिंग से विभिन्न क्षेत्रों के मौसम में भारी बदलाव होने लगा है। भयंकर गर्मी पड़ना, तेज़ गति का तूफ़ान, तीव्र चक्रवात, सूखा, बेमौसम बरसात, बाढ़ आदि सब ग्लोबल वार्मिंग का ही परिणाम है।

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ग्लोबल वार्मिंग से बचाव के उपाय | How to Prevent Global Warming Essay in Hindi

ग्लोबल वार्मिंग के प्रति दुनियाभर में चिंता बढ़ रही है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस साल का नोबेल शांति पुरस्कार पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में कार्य करने वाली संयुक्त राष्ट्र की संस्था इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेंट चेंज (आईपीसीसी) और पर्यावरणवादी अमेरिका के पूर्व उपराष्ट्रपति अल गोर को दिया गया है। लेकिन सवाल यह है कि क्या पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वालों को नोबेल पुरस्कार देने भर से ही ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से निपटा जा सकता है? बिल्कुल नहीं। इसके लिए हमें कई प्रयास करने होंगे :

1- सभी देश क्योटो संधि का पालन करें। इसके तहत 2012 तक हानिकारक गैसों के उत्सर्जन ( एमिशन, धुएं ) को कम करना होगा।

2- यह जिम्मेदारी केवल सरकार की नहीं है। हम सभी भी पेटोल, डीजल और बिजली का उपयोग कम करके हानिकारक गैसों को कम कर सकते हैं।

3- जंगलों की कटाई को रोकना होगा। हम सभी अधिक से अधिक पेड लगाएं। इससे भी ग्लोबल वार्मिंग के असर को कम किया जा सकता है।

4- टेक्नीकल डेवलपमेंट से भी इससे निपटा जा सकता है। हम ऐसे रेफ्रीजरेटर्स बनाएं जिनमें सीएफसी का इस्तेमाल न होता हो और ऐसे वाहन बनाएं जिनसे कम से कम धुआं निकलता हो।

ग्लोबल वार्मिंग पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Q.1 ग्लोबल वार्मिंग के कारणों की सूची बनाएँ।

A.1 प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों प्रकार के ग्लोबल वार्मिंग के विभिन्न कारण हैं। प्राकृतिक एक में ग्रीनहाउस गैस, ज्वालामुखी विस्फोट, मीथेन गैस और बहुत कुछ शामिल हैं। अगला, मानव निर्मित कारण वनों की कटाई, खनन, मवेशी पालन, जीवाश्म ईंधन जलाना और अधिक हैं।

Q.2 ग्लोबल वार्मिंग को कोई कैसे रोक सकता है?

A.2 ग्लोबल वार्मिंग को व्यक्तियों और सरकार के संयुक्त प्रयास से रोका जा सकता है। वनों की कटाई पर रोक लगाई जानी चाहिए और पेड़ों को अधिक लगाया जाना चाहिए। ऑटोमोबाइल का उपयोग सीमित होना चाहिए और रीसाइक्लिंग को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

निष्कर्ष

ग्लोबल वार्मिंग बड़ी चिंता का विषय बन चुका है। अब सही समय आ चुका है कि मानव जाति इस तरफ ध्यान दे तथा इस मुद्दे को गंभीरता से ले। कार्बन उत्सर्जन में कमी से ग्लोबल वार्मिंग के परिणामों को कम किया जा सकता है। इसलिए हम में से हर एक को अपने स्तर पर कार्य करने की जरुरत है जिससे ग्लोबल वार्मिंग के दुष्परिणामों पर क़ाबू पाया जा सके।

By Topper

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